‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ में भारत का हर रंग-रूप
पत्रकारों द्वारा अपने अनुभवों को शब्दों में पिरोना कोई नई बात नहीं, लेकिन अपने अनुभव को पत्रकारिता के साथ कहानियों में पिरोना जरूर नई बात है और यह काम किया है जानेमाने पत्रकार विजय मनोहर तिवारी ने अपनी किताब ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ में । उन्होंने जो स्वयं लिखा है।
‘जैसा कि आप जानते हैं कि 2010 से 2015 के बीच दैनिक भास्कर के नेशनल न्यूजरूम में रहते हुए मैंने स्पेशल स्टोरी कवरेज के लिए भारत की करीब 8 यात्राएं की हैं। शायद ही कोई विषय हो, जो देश के किसी न किसी कोने से कवर न हुआ हो। अखबार के संडे जैकेट पर तीन भाषाओं में देशव्यापी कवरेज की एक झलक आप सबने देखी-पढ़ी। लंबी और लगातार यात्राओं के अनुभव 500 पेज की एक किताब में आ गए हैं। यह किताब कई आॅनलाइन बुक्स (online book )स्टोर पर उपलब्ध है, जिसमें करीब 65 यादगार रंगीन तस्वीरें भी हैं। इस किताब को मैंने ट्रेनों, होटलों, रेलवे स्टेशन के वेटिंग हॉल और एयरपोर्ट पर लंबे इंतजार के दौरान ही लिखा और पूरा किया है। इसमें बेचैनी से भरा हुआ भारत अपने हर रंग-रूप और हर माहौल-मूड में दिखाई देगा। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।’
इस किताब को आप आॅनलाइन खरीद (buy books online)सकते हैं और दूसरों को भी पढ़ा सकते हैं। इस अनुभव के पिटारे को आप भी महसूस करें.......
‘जैसा कि आप जानते हैं कि 2010 से 2015 के बीच दैनिक भास्कर के नेशनल न्यूजरूम में रहते हुए मैंने स्पेशल स्टोरी कवरेज के लिए भारत की करीब 8 यात्राएं की हैं। शायद ही कोई विषय हो, जो देश के किसी न किसी कोने से कवर न हुआ हो। अखबार के संडे जैकेट पर तीन भाषाओं में देशव्यापी कवरेज की एक झलक आप सबने देखी-पढ़ी। लंबी और लगातार यात्राओं के अनुभव 500 पेज की एक किताब में आ गए हैं। यह किताब कई आॅनलाइन बुक्स (online book )स्टोर पर उपलब्ध है, जिसमें करीब 65 यादगार रंगीन तस्वीरें भी हैं। इस किताब को मैंने ट्रेनों, होटलों, रेलवे स्टेशन के वेटिंग हॉल और एयरपोर्ट पर लंबे इंतजार के दौरान ही लिखा और पूरा किया है। इसमें बेचैनी से भरा हुआ भारत अपने हर रंग-रूप और हर माहौल-मूड में दिखाई देगा। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।’
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